![]() |
स्वयं की खोज (Self-discovery) |
आज का युवा, कॉलेज कैम्पस से लेकर, सोशल मीडिया, ऑफिस की पॉलिटिक्स या समाज के आंदोलन तक, हर जगह भीड़ के दबाव में है।
भीड़ में अपने आप को अलग कर, स्वयं की खोज... युवाओं के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती है...“भीड़ में खो जाना आसान है, लेकिन स्वयं को भीड़ में खोजना साहस का काम है।”
यह पंक्ति आज की युवा पीढ़ी पर सबसे अधिक लागू होती है। हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं, जहाँ अपनी असली पहचान यानी कि Identity Crisis, खो देने का खतरा हर युवा के सामने है।
लोग सोचते हैं कि वे स्वतंत्र हैं, लेकिन ऐसा नहीं है, सच्चाई यह है कि जैसे ही वे भीड़ का हिस्सा बनते हैं, उनकी सोच और विवेक ( Rational Thinking) धुंधले पड़ने लगते हैं।
आज का युवा Freedom चाहता है, लेकिन सच ये है कि वह अक्सर भीड़ की Collective Energy में बहकर वह अपनी स्वतंत्रता खो बैठता है।
भीड़ के उत्साह, आक्रोश या किसी ट्रेंडिंग फैशन की लहरों में फंसकर ऐसे फँवर में फंस जाता है, जहां वह खुद को पहचान ही नहीं पाता।
तो आईए आगे बढ़ने से पहले "भीड़ के मनोविज्ञान " को समझते हैं...
मनुष्य को “Social Animal” कहा जाता है। यानी कि मनुष्य, समाज और समूह के बिना नहीं रह सकता। समूह हमें सुरक्षा, अपनापन और एकता का अहसास देता है। लेकिन यही समूह कई बार व्यक्ति की स्वतंत्र सोच को निगल जाता है।
जैसे जब कोई भला इंसान भी क्रिकेट मैच देखने जाता है तो वह अकेले तो शांत रह सकता है, लेकिन स्टेडियम में कई बार वह भी भीड़ के साथ शोर के साथ उद्दंडता में शामिल हो जाता है। शांत स्वभाव के लोग भी किसी प्रदर्शन में, भीड़ के जोश में शामिल हो कर हिंसक हो जाते हैं।
इसका सबसे खतरनाक असर यह होता है कि इंसान का विवेक (Discretion) और आत्म-जागरूकता (Self-Awareness) दब जाती है। वह सोचना बंद कर देता है और भीड़ का गुलाम बन जाता है। मनोविज्ञान में इसे Mob Mentality या Herd Mentality कहते हैं।
यही हाल सोशल मीडिया मैं देखने को खूब मिल रहा है। किसी भी प्रकार का, कोई भी Trend सोशल मीडिया पर जब चल पड़ता है तो, लाखों लोग बिना कुछ सोचे-समझे, बिना जांच पड़ताल के, उसे Share करने लगते हैं। जिसमें अधिकांश पढ़ा लिखा युवा वर्ग और वरिष्ठ आयु वाले तथाकथित बौद्धिक वर्ग वाले भी शामिल हैं
पहचान का संकट (Identity Crisis)
युवा वर्ग के लिए आज का सबसे बड़ा संघर्ष है Identity Crisis, क्योंकि आज के समाज में संगठित तरीके से अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग भीड़ की व्यवस्था की गई है, जो कि युवा वर्ग के भविष्यगत निर्णय को प्रभावित करती है।
दिग्भ्रमित युवा वर्ग की वर्तमान मजबूरी का फायदा उठाते हुए, पेशेवर संगठित भीड़, उन्हें अपनी मन मुताबिक क्षेत्र की ओर आसानी मोड़ देती है। कई छात्र-छात्राएँ अपनी रुचि और क्षमता समझे बिना वही कोर्स चुनते हैं जो भीड़ चुन रही है।
जैसे उदाहरण के तौर पर एक छात्रा कला (Art) में प्रतिभाशाली थी, लेकिन दोस्तों और समाज के दबाव में इंजीनियरिंग करने लगी। न कला में संतोष मिला, न इंजीनियरिंग में सफलता। इसे कहते है भीड़ का प्रभाव।
सोशल मीडिया का दबाव (Pressure of Social Media)
सोशल मीडिया पर आज कल हर दिन नए-नए Trends आते हैं, Boycott Culture, Viral Challenges, Influencer Lifestyle आदि आदि।
आज के युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा, बिना सोचे समझे इनका हिस्सा बन जाता है। और धीरे-धीरे वो भूल भी जाता है कि उनकी खुद की असली राय क्या है।
वह दूसरों की नजर के हिसाब से जीना शुरू कर देता है। युवा सोचता है कि “लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे।” यह सोच ही उसे स्वतंत्र निर्णय लेने से रोक देती है। उसकी Self-Images पूरी तरह दूसरों की राय पर निर्भर हो जाती है।
आखिर क्यों खो जाते हैं हमारे युवा, भीड़ में...?
- Acceptance की चाहत हर युवा को होती है। वह चाहता है कि लोग उसे अपनाएँ, सराहें। इसी चाहत की वजह से वह जाने अनजाने एक भीड़ का हिस्सा बन जाता है। और भीड़ में "भ्रमजाल" मिलता है, उसे लगने लगता है कि वह अकेला नहीं है।
- Fear of Rejection एक बड़ा कारण है कि युवा वर्ग भीड़ से अलग सोचने का मतलब है आलोचना, मजाक और अलग-थलग पड़ जाना। यह डर उसे भीड़ के साथ बहा ले जाता है।
- Self-alAwareness की कमी की पृष्ठभूमि में भी भीड़ ही एक बड़ा कारण होता है। क्योंकि अगर युवा वर्ग को यह ही नहीं पता कि उसकी असली चाहत और मूल्य (Values) क्या हैं, तो वह भीड़ से अलग कैसे रह सकता है...?
भीड़ से अलग होने की हिम्मत... एक जरूरत
"भीड़ से अलग होना केवल शारीरिक दूरी नहीं, बल्कि मानसिक स्वतंत्रता है।"
आज युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश ये है कि अपनी स्वतंत्र विचार बनाएं, किसी के मानसिक गुलाम न हों। उसके लिए सबसे पहले आपको भीड़ से अलग रहना, या भीड़ के प्रभाव में न आना सीखना समझना चाहिए।
सभी को Breaking Free From the Crowd का मंत्र अपनाना होगा, जिसकी शुरुआत, निम्न बिंदुओं को आत्मसात कर अमल में लाना होगा।
- अपनी सोच पर विश्वास करना
- बिना डरे सवाल करना
- तर्क और विवेक का इस्तेमाल करना
- ट्रेंड या आंदोलन का हिस्सा बनने से पहले खुद से पूछना कि “क्या यह मेरी असली सोच है, या सिर्फ भीड़ का दबाव है...?”
यह साहस हर किसी में नहीं होता। लेकिन जो लोग इसे अपनाते हैं, वही असल Leaders और बदलाव के वाहक बनते हैं।
आत्म-जागरूकता की ज़रूरत
भीड़ से बचने और अपनी पहचान पाने का सबसे मजबूत साधन है , Self-awareness "आत्म-जागरूकता" पर अभ्यास करना।
-
ध्यान और आत्म-चिंतन (Meditation & Reflection) -- रोज़ कुछ मिनट शांति में बैठें। गहरी सांस लें और खुद से सवाल करें,“मैं कौन हूँ ? मेरी असली चाहत क्या है ? क्या मैं वही कर रहा हूँ, जो मुझे सही लगता है या वो कर रहा हूं जो भीड़ चाहती है ?”
-
जर्नलिंग (Journaling) -- रोज़ अपने विचार और भावनाएँ लिखें। यह आपके असली स्वरूप को पहचानने में मदद करेगा।
-
सवाल करना (Questioning) -- दूसरों की राय को बिना सोचे मत मानें। हर विचार पर सवाल करें, “क्या यह सच है ? क्या इसका कोई प्रमाण है ?”
युवाओं के लिए दो वास्तविक उदाहरण
1. भीड़ में बहता युवा--
दिल्ली विश्वविद्यालय का एक छात्र, प्रदर्शन देखने गया। शुरुआत में तो वह सिर्फ दर्शक था, लेकिन भीड़ के जोश में वह भी नारे लगाने लगा। कुछ देर बाद पत्थर फेंकने में भी शामिल हो गया। जब पुलिस ने उसे पकड़ा, तो उसे खुद हैरानी हुई कि उसने यह सब किया ही क्यों।
2. खुद की राह चुनने वाला युवा--
आईआईटी का एक छात्र, जिसे दोस्तों ने कहा कि कुछ नया Start-up करो क्योंकि आजकल इसी का “Trend” है। लेकिन उसने आत्मचिंतन किया और पाया कि उसकी रुचि रिसर्च में है। उसने भीड़ की राह छोड़ दी और आज विदेश में रिसर्च कर रहा है। उसने अपनी पहचान बचाई और सफलता पाई।
यह है Mob Influence का असर।
"सोशल मीडिया" ... आज की आधुनिक भीड़
आज की Virtual Crowd असल भीड़ से भी खतरनाक है।
- Fake News मिनटों में फैलती है।
- लोग बिना तथ्य जांचे Share और Comment कर देते हैं।
- किसी के खिलाफ Trolling या Boycott Campaign शुरू हो जाता है।
युवा वर्ग को यहाँ सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
Think before you share. Think before you react.
बदलाव की राह, भीड़ का गुलाम नहीं, समाज का वाहक बनें
ध्यान रहे, जब आप अपनी पहचान बनाए रखते हैं, तो आप केवल खुद को नहीं, बल्कि समाज को भी दिशा देते हैं।
- भीड़ कहेगी: “सब यही कर रहे हैं।”
- आप कहें: “लेकिन सच क्या है?”
- भीड़ कहेगी: “Follow the Trend।”
- आप कहें: “मैं अपनी राह खुद बनाऊँगा।”
यही है असली Independence और यही है नेतृत्व (Leadership)
भीड़ में खो जाना आसान है। वहाँ सोचने की जरूरत नहीं, बस बह जाना है। लेकिन स्वयं को खोजना, यानी Self-discovery साहस का काम है।
आज के युवा को यह समझना होगा कि --
- भीड़ में रहकर वह अपनी पहचान खो सकता है।
- भीड़ से अलग रहकर वह अपनी सच्ची पहचान पा सकता है।
- अपनी सोच और विवेक को जीवित रखना ही असली आज़ादी है।
- Being different is not wrong.
- Thinking independently is courage.
- Your identity is your true freedom.
भीड़ से अलग होकर स्वयं को पाना ही असली स्वतंत्रता है। यही वह रास्ता है, जिस पर चलकर युवा वर्ग न केवल अपने जीवन को अर्थपूर्ण बना सकता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
मनोज भट्ट, कानपुर
दिनांक: 05 अक्टूबर 2025
Apka Lekh Yuva Pidi ke liye Prerna Dhayak hai , jiske liye aap badhai ke paatra hai.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
हटाएं