आम आदमी को ईश्वर संदेश Devine Massege to the Common Man

प्रार्थना और सपना – एक स्वचिंतन रात के तीसरे पहर, जब सारा संसार निद्रा में लीन था, एक रहस्यमयी "शीतलता" मुझे जगाने लगी। नींद और जागरण के उस धुंधले क्षण में, एक दिव्य प्रकाश झलका... और उसी में प्रकट हुआ एक स्वप्न... ईश्वर का सन्देश, जो मेरी आत्मा को हमेशा के लिए झकझोर गया। "हे मानव!" एक गूंजती हुई दिव्य वाणी मेरे अंतर्मन में प्रतिध्वनित हुई.... "तू प्रतिदिन मुझसे प्रार्थना करता है,... एक ऐसे तेजस्वी बालक की याचना करता है, जो तेरे देश को गौरव की ऊँचाइयों तक ले जाए। परंतु सुन, हे मानव! मैं तो हर दिन तेरे समाज में एक 'सूर्यपुत्र' भेजता हूँ... ऐसा बालक जो ऊर्जा, संभावनाओं और दिव्य प्रतिभा से ओतप्रोत होता है... किन्तु तेरा समाज उसे बचा नहीं पाता।" मैं स्तब्ध था। वाणी पुनः गूंजी.... "हे मानव! उस बालक के लिए तेरा 'समाज' ही वह प्रथम परीक्षा है, जहाँ वह बालक असफल हो जाता है..." "शैशव काल में उसे भूख और उपेक्षा का स्वाद चखना पड़ता है..." "बाल्यकाल में उसे शिक्षा के स्थान पर अराजकता मिलती है..." ...