संदेश

विचार लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"विकल्पों की भीड़ में खोती है सफलता: एकाग्रता ही है असली शक्ति"

चित्र
" जहाँ विकल्पों की भीड़ है, वहाँ भ्रम है। जहाँ एक ही राह है, वहाँ संकल्प है। और संकल्प ही सफलता की सीढ़ी है।"       आज के समय में जब हर दिशा में विकल्पों की भरमार कैरियर, रिश्ते, विचारधारा और जीवनशैली आदि, तब यह कहना कि “ विकल्प सफलता में बाधा बनते हैं” एक साहसिक विचार लगता है। परंतु यदि हम गहराई से देखें, तो पाएंगे कि विकल्पों की अधिकता, अक्सर निर्णयहीनता, अस्थिरता और भ्रम को जन्म देती है। और यही वह बिंदु है जहाँ हमारी सच्ची सफलता की राह अक्सर धुंधली हो जाती है। विकल्प: वरदान या भ्रम का जाल ?       विकल्प होना एक स्वतंत्रता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन जब विकल्प इतने अधिक हो जाएं कि व्यक्ति अपने लक्ष्य से भटक जाए, तो यही स्वतंत्रता एक बोझ बन जाती है। जैसे... एक छात्र जो दस कैरियर विकल्पों के बीच उलझा है, वह शायद किसी एक में उत्कृष्टता नहीं पा सकेगा।   एक लेखक जो हर शैली में लिखना चाहता है, वह शायद किसी एक शैली में गहराई नहीं ला पाएगा।   अतः विकल्पों की अधिकता हमें सतही बनाती है, गहराई नहीं देती। सीमित विकल्पों में छिपी होती है संकल...

“संस्कार"...सोच और नजरिए की असली जड़”

चित्र
"संस्कार"...सोच और रिश्तों की नींव       आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में रिश्ते, सोच और नजरिया बड़ी तेज़ी से बदलते हुए नज़र आते हैं। सगे संबंधी के रिश्ते हों या अपने बचपन की दोस्ती हो, कई बार, एक परिपक्व उम्र के पड़ाव पर पहुंच कर उन रिश्तों के बीच आश्चर्यजनक रूप में बहुत चौड़ी दरार देखने को मिलती है।        जो व्यक्ति बचपन में सरल, स्नेही और अपनेपन से भरा लगता था, बड़ा होकर, उसी का व्यवहार कई बार, एकदम "विपरीत रूप" में सामने आता है और हम चकित हो जाते हैं...       यह परिवर्तन केवल उसके बौद्धिक विकास या शिक्षा के कारण नहीं आता, बल्कि उसकी गहराई में कुछ और ही कारण छिपे होते हैं और वह कारण है " संस्कार "।       किसी इंसान के जीवन में शिक्षा से कहीं अधिक गहरा प्रभाव, उसके " संस्कार " पर निर्भर करता है क्योंकि संस्कार ही वह अदृश्य शक्ति है, जो किसी बच्चे के व्यक्तित्व की नींव रखती है। यह न पाठ्य पुस्तकों से मिलता है, न ही किसी पाठशाला से। यह उसके जन्म काल से बनता है, माता-पिता, परिवार, परिवेश और दिन-प्रतिदिन मिलने वाले अनुभव...