माता-पिता: बेटा-बेटी दोनों की जिम्मेदारी, पर सम्मान सहित ....

"Parents: Responsibility for both son and daughter, but with respect." बुज़ुर्ग माता-पिता की सेवा से ज़्यादा जरूरी है, उन्हें अपनापन और सम्मान देना। क्योंकि जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उसके लिए दुनिया का पहला स्पर्श माँ का होता है और पहला सहारा पिता का। उस पल से लेकर जीवन के हर मोड़ तक माता-पिता अपने बच्चों के लिए दीवार बनकर खड़े रहते हैं। उनके लिए न बेटा बड़ा होता है, न बेटी छोटी। उनके स्नेह की परिभाषा में भेदभाव नाम का शब्द ही नहीं होता। बचपन की वो तस्वीरें आज भी आंखों में बसी होती हैं, जब माँ देर रात तक जागकर बच्चों की बुखार में सेवा करती थी, और पिता बिना थके काम करके स्कूल की फीस, किताबें, और सपनों का बोझ अपने कंधों पर उठाए रहते थे। उनके लिए बेटा-बेटी दोनों ही उनके जीवन का केंद्र होते हैं। समय के साथ सब कुछ बदल जाता है... समय के पंख तेज़ी से उड़ते हैं। बच्चे बड़े हो जाते हैं, अपने-अपने जीवन की दौड़ में लग जाते हैं। बेटा अपने करियर और जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाता है, वहीं बेटी अपने ससु...